पंखों में भी इतनी ताकत है
आसमान भी है, हिम्मत भी कम नहीं,
फिर भी पता नही क्यों जमीं पे ही रह गए हम!
छूना चाहते हैं चांद को, बहना है बादलों में
बना सकते हैं अपना आशियाना
सितारों की चमकती छांव में
फिर भी पता नही क्यों
जमाने के डर से, या अकेलेपन के खौफ से
हाथ उठा कर ऊपर की तरफ
सर झुका के रह गए हम.
एक ऊंची उड़ान की चाहत दिल में लिए,
जहां से चले थे, बस वहीं तक सिमट के रह गए हम!
No comments:
Post a Comment