सौ बातों की एक बात है
बहुत याद आते हो तुम.
चाहे कितनी भी कोशिश कर लूं
वक्त बेवक्त आंखों से छलक ही जाते हो तुम!😢
कोई बताए मुझको मेरी खता
जिसकी सजा सिर्फ मैंने पाई है
इश्क तो उन्होंने भी किया था
पर सिर्फ मेरे लिए उम्र भर की तन्हाई है!
बरसों से ये ख्वाहिश है
कि तुमसे रोजाना मुलाकात हो
चांद लम्हों के लिए ही सही
पर तुम्हारी मुस्कान का दीदार हो
बस इस उम्मीद पे कायम है ये जिंदगी
कि ये जरूर होगा किसी दिन, क्योंकि
ऐसा लगता है जैसे सिर्फ मुझे नही
बल्कि पूरे कायनात को उस वक्त का इंतजार हो!
देखो कितनी अधूरी है ये कहानी तुम्हारे बिना
हर रात तुम्हारे दरवाजे पे बेवजह दस्तक दे कर लौट जाती है,
दरवाजा खोल के हैरान होते होगे तुम भी,
आखिर कौन है जो हर रोज बिना मिले चला जाता है.
बहुत डरते हैं इस बात से कि कभी मिल गए
हम उस दरवाजे पे तो ना जाने क्या होगा?
या तो दिल की धड़कन रुक जाएगी हमारी,
या फिर पहली बार इस कहानी के पूरे होने का एहसास होगा!
चलो खुद से फिर एक वादा करते हैं,
अपने खयालों की कैद से तुमको रिहा करते हैं,
वक्त की कसौटी पर आजमाते हैं फिर से अपनी चाहत को,
फिर से तुम्हारे होने के एहसास से खुद को जुदा करते हैं!
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