यूँ ही बेखयाली में कहते हैं वो
न जाने कैसी कशिश है हममे
कि लोग इतनी मोहब्बत करते हैं,
कभी कभी तो ऐसा लगता है
जैसे अपुनिच भगवान है!
हँसके हम भी कह देते हैं की गलतफमी अच्छी है जनाब
हक़ीक़त तो ये हैं कि आपकी मुस्कान में हम रहते हैं
और आपके हर अंदाज़ को बेहतर से बेहतरीन बनाते हैं
आखिर क्यों न हो आपके इतने चाहने वाले,
जबआपमें आप नहीं , हम नज़र आते हैं!
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