हमने पूछा उनसे जाते वक़्त अपनी उदास आँखों से,
की इतना सख्त दिल कहाँ से पाया है जो ऐसे छोड़ के जा रहे हो
क्या बिलकुल प्यार नहीं हमसे?
तो उन्होंने कहा कि,
जाना प्यार तो बहुत है तुमसे,
पर उससे कहीं ज्यादा जिम्मेदारियां हैं सर पे,
अगर प्रेम ही होता सब कुछ इस दुनिया में,
तो कृष्ण कभी वृन्दावन नहीं छोड़ते,
न ही लक्ष्मण वनवास को जाते
सिद्धार्थ को पता था कुछ और है जीवन का उद्देश्य,
और दुनिया को मिलना था रामचरितमानस तुलसीदास से
ऐसा नहीं हैं कि कोई इरादा है मेरा मोहब्बत कि मिसाल कायम करने का
पर क्या करें यही दस्तूर रहा है इस ज़माने का !
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