जिसमे मासूमियत बेहिसाब हुआ करती थी
कोई और तमन्ना या ख्वाहिश नहीं
दिन भर में बस एक बार उनको एक बार देखने की चाह हुआ करती थी💞💞
वो अपनी जिंदगी में कुछ इस कदर मशरूफ हो गए
कि हमसे बात करना ही भूल गए
हम उनकी यादों में इस कदर मशगूल हो गए
कि उनको भूलना ही भूल गए!💞
वो अपने दिल की हर बात आंखो से कह गए,
ये उनकी मोहब्बत है या हमारा वहम,
हम इसी कशमकश में रह गए.
मानते हैं खामोशी खूबसूरत है पर
देखो इसकी वजह से प्यार के
ना जाने कितने मौसम यूं ही गुजर गए!
इस दुनिया के रस्मो रिवाज़ हमें बिल्कुल नहीं भाते
इसलिए हमने अपनी एक खयालों की दुनिया बनाई है
और देखो हमारे खयालों की ताकत
भले ही इस दुनिया में तुम हमारे कभी हो नही सकते
पर उस दुनिया में हम तुम्हे किसी और का होने नही देते!
होगे शहंशाह तुम अपने शहर के
इज्जत हमारी भी अपनी गलियों में कम नहीं
इस गलतफहमी में मत रहना
कि एक हुक्म पे हाज़िर हो जाएंगे
बेशकीमती हैं बहुत हम
बराबरी की मोहब्बत से मिलेंगे
रियासत या दौलत या मेहरबानी से नहीं!😎
तुम्हारी मुस्कान के फूलों को,
एक बार छूने की इजाजत दे दो ना,
एक एहसान कर दो मुझ पे
बस एक बार अपनी जुबान से मेरा नाम ले लो ना,
समंदर भले ही रहो तुम किसी और का,
मेरे किनारे को अपनी बस एक लहर का
मीठा आसमान दे दो ना!💕💕
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