Monday, March 7, 2022

अल्फाज!

ना जाने कैसे लोग कहते हैं कि
बातें दिल दुखाती हैं
हमें तो तकलीफ उन अल्फाजों से हैं
जो आप हमसे कभी कहते नहीं!

मशरूफ बहुत हो ना अपनी दुनिया में
इसलिए शायद समझ नही पाए
वो जो तुम्हे कभी कभी लगता है किसी ने आवाज दी
तुम्हारा वहम नही है, 
बड़ी शिद्दत से कहीं किसी को याद आते हो!

कहना तो इतना कुछ है के कयामत तक बातें खतम ही ना हों,
पर कमबख्त वक्त ही इतना कम है
तो चलो तुम्हे जी भर के देखने की तमन्ना ही पूरी कर लेते हैं
पर लगता है वो भी मुमकिन नहीं
क्योंकि तुम्हारी आंखों के समंदर में 
हमारी पलकों के जहाज ज्यादा देर तक ठीक नहीं पाते,
डूब जाते हैं.

कभी सोचते हैं कि क्या होता जो हर किसी को उनकी मोहब्बत मिल जाती
सारी हसरतें पूरी हो जाती
हर ख्वाब मुकम्मल हो जाता
क्या फिर सबकुछ बेहतरीन होता या 
जिंदगी से इस बात की शिकायत होती
कि चांद को पाने की ख्वाहिश
चांद मिलने से ज्यादा हसीन हुआ करती थी!

बादलों की चादर ओढ़कर चांद मुझे देखता रहा,
मैं भी अंधेरे में आंखे मूंद कर उसे ही सोचता रहा,
कभी मौसम ने तो कभी वक्त ने, कुछ ऐसे इम्तिहान रख दिए
कि हमारा प्यार बस खामोशियों में ही आगे बढ़ता रहा!

उनको अच्छी नहीं लगती मोहब्बत की बातें
क्योंकि वो practical बहुत हैं
हमे पसंद नहीं आतीं rational बातें
क्योंकि हम emotional बहुत हैं
अब इस conflict का ही तो खेल है सारा
कि हमारी कहानी में सब कुछ खामोशी में बंद है!

तुम कह दोगे तो समझ ही जायेंगे
तुम नहीं कहोगे तो भी समझ जायेंगे
क्योंकि तुम्हारे शब्दों और मौन के बीच की
कहानी के विस्तार का भावार्थ समझ लिया है हमने!

~ rimjhim's Dreamland 💕

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